Monday, April 18, 2016

History of Kakustha Pratihar and Devraj Pratihar

===== महाराजा देवराज प्रतिहार =====
मित्रों आज की यह पोस्ट लक्ष्मणवंशी प्रतिहार/परिहार राजपूत वंश के वीर योद्धा शासक देवराज परिहार पर आधारित है।


क्षत्रिय नरेश नागभट्ट प्रथम की मृत्यु 760 ईस्वीं में होने के पश्चात उसके भाई का पुत्र ककुक्क अथवा कक्कुस्थ प्रतिहार सिंहासन पर बैठा परंतु कक्कुस्थ एक निर्बल एवं अयोग्य शासक होने के कारण शीघ्र ही उसके स्थान पर उसका छोटा भाई देवराज सिंघासन पर बैठा।
कक्कुस्थ के विषय मे कोई विशेष घटनाओं की जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। कक्कुस्थ के कोई संतान न होने की वजह से भी उसका छोटा भाई ही शासक बना। ग्वालियर प्रशस्ति में कक्कुस्थ के विषय में लिखा है कि वह प्रियभाषी होने के कारण वह लोक मे कक्कुस्थ (हँसने वाला) नाम से जाना गया।
यह तो नही कहा जा सकता कि इसने कितने वर्ष तक शासन किया क्योंकि इससे संबंधित कोई साक्ष्य नही मिलता। परंतु ऐसा लगता है की अत्यंत अल्प समय ही यह शासनाधिकारी रहा होगा।"
कक्कुस्थ के बाद उसका छोटा भाई देवराज ने प्रतिहार राज्य का उत्तराधिकारी घोषित किया गया। ग्वालियर प्रशस्ति कहती है कि " उसके पराक्रमी अनुज देवराज ने कुल यश की वृद्धि की तथा पृथ्वी के राजाओं की प्रभुता का विनाश करके उन्हें उसी प्रकार प्रभुत्वविहीन कर दिया, जिस प्रकार इन्द्र ने पर्वतो के पंखो को काटकर गतिहीन बना दिया था। इसका तात्पर्य है कि देवराज वीर योग्य शासक था। प्रशस्ति में इसे 'कुलिश - धर' याने इन्द्र के समान कहा गया है।
मिहिर भोज प्रथम के वराह अभिलेख में देवराज को देवशक्ति कहा गया है। ग्वालियर अभिलेख के अनुसार देवराज ने बहुसंख्यक भूभृतों यानी राजाओं और उनके शक्तिशाली सहयोगियों की गति को समाप्त कर दिया। " यज्ञे छिन्नोरुपक्षक्षपितगतिकुलं भूभृतं सन्नीयनता।" अभिलेख में शत्रुओं एवं उनके सहयोगियों के नामों का उल्लेख नहीं है।
अतः निश्चित रुप से कुछ नही कहा जा सकता। परंतु यह तो निश्चित है कि देवराज प्रतिहार ने अपने पूर्वजों के साम्राज्य की सीमाओं को कम नही होने दिया। बीस वर्ष तक शासन चलाना और वह भी उज्जैन जैसे केंद्रीय स्थान पर रहकर जहाँ दक्षिण एवं पश्चिम के आक्रमणों का निरंतर भय बना रहता था।, आसान काम नही था परंतु देवराज ने निर्बाध गति से शासन चलाया।
दुरदेव से इसके शासन के विषय में अधिक जानकारी आज हमें उपलब्ध नहीं है। कक्कुस्थ एवं देवराज ने बीस वर्ष शासन किया। देवराज प्रतिहार की मृत्यु 776 ईस्वीं मे हो गई।
Pratihara / Pratihar / Parihar Rulers of india
प्रतिहार/परिहार/पढ़ियार क्षत्रिय राजपूत वंश
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लक्ष्मणवंशी प्रतिहार।।
सूर्यवंशी क्षत्रिय।।
जय माँ चामुण्डा।।
जय क्षात्र धर्म।।
नागौद रियासत।।

3 comments:

  1. Bhai kabhi school mein history ki book padhi hai. kabhi Delhi gaye ho.akshar Dham me gaye ho.vha itihas padh phir bhol.google kar to Yarr ek bar partihar Kon the histry PTA kar ek bar.pta chal jayega mihir bhoj Gujjar tha ya ni. 7 class ki book dekhi Usme saaf saaf likha hai 'Gujjar partihar empire'. saab halat hai bas tu thik hai.sab raja bas Rajput hi the kya

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  2. Exactly....he is wrong kukush ka bhai nagbatt nhi tha ok

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  3. Ak dum bakbas he kakustha ke bare me agir Janna ho to visnu puran ke dusre adhiyay ke 4 ansh me jakar pardho sab PTA hojayga
    Ham khud raja kakustha ke bansaj he

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