जन्म - 5 फरवरी 1916
शिक्षा - इंदौर एवं बँगलौर
राजगद्दी- 1926
पहला विवाह - महामान्या यशवंत कुमारी बाई जी राजे, धर्मपुर रियासत (गुजरात
)1932 दूसरा विवाह - महामान्या श्याम कुमारी,ठिकाना बांधी, सोहावल रियासत
1942 व्यक्तित्व - सुंदर, सौम्य, सुशील, उदार, स्वाभिमानी, अच्छे घुड़सवार,
संस्कृत के ज्ञाता, अंग्रेजी के विद्वान (धारा प्रवाह अंग्रेजी) हिन्दी
के मर्मज्ञ, काव्य प्रेमी, संगीत प्रेमी, रास-रंग के शौकीन, अचूक निशाने
बाज, बेढब शिकारी (256 शेर मारे, नागौद, उचेहरा, परसमनिया, इलाहाबाद,
बाम्बे की कोठियाँ तरह -तरह की ट्राफी एवं खालों से सुसज्जित है।
खाद्यपदार्थ बनाने, खाने एवं खिलाने के शौकीन, उदार दाता (इनाम इकरार एवं जागीर देने में उदार। लोग जय जय कार करते परम शैव जो पिता श्री से विरासत में मिला, अच्छे पुजारी, अति क्रोधी (पर जल्दी शांत होते थे) अत्यन्त हठी (चाहे ब्रह्मा उतर आएं, करते मन की) रसज्ञ, अच्छे वक्ता, विशेष अवसरों पर परिधान खास होती ऐसे थे हमारे महाराजाधिराज ।
खानदानी उपाधि
"श्री श्री 108 श्री सदाशिव चरणार्विंद, मकर रन्द, श्री महीभुज मण्डल मार्तण्ड, श्री सूर्य वंश परिहार वतंशः, श्री महाराजधिराज, श्री महाराज संग्रामशूर, श्री बरमेन्द्र महाराज,
श्रीमान महेन्द्र सिंह जूदेव ।।"
आप महाराजा यादवेन्द्र सिंह जी के छोटे पुत्र है। अग्रज महाराजा नरहरेन्द्र सिंह जी की मृत्यु के बाद अवयस्क होने पर तत्कालीन राज्य का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। आप का जन्म 8 फरवरी 1916 को हुआ और पढ़ाई इन्दौर और बैंगलोर मे संपन्न हुई।
वयस्क होने पर 9 फरवरी 1938 ई. को आपका राज्याभिषेक हुआ और 1939 ई. मे शेसन के अधिकार प्राप्त हुए। आप भारतीय नरेश मंडल के सदस्य भी थे।
आप ने हमेशा ही राज्य व प्रजा का तन मन धन से ख्याल रखा। आप नागौद राज्य के आखिरी उत्तराधिकारी हुए। 15 अगस्त 1947 ई. को भारत स्वतंत्र हुआ। और सभी रियासतों के साथ नागौद रियासत भी अंततः अंतरमुक्त हो गया और कुछ ही सालों बाद आप 23 अक्टूबर 1981 ई. को 65 वर्ष की उम्र मे पंचतत्व विलीन हो गये।।
साभार - अजय सिंह परिहार
ठिकाना - सेमरी, नागौद
Pratihara / Pratihar / Parihar Rulers of india
जय बरमेन्द्रनाथ।।
जय चामुण्डा देवी।।
सूर्यवंशी प्रतिहार वंश।।
खाद्यपदार्थ बनाने, खाने एवं खिलाने के शौकीन, उदार दाता (इनाम इकरार एवं जागीर देने में उदार। लोग जय जय कार करते परम शैव जो पिता श्री से विरासत में मिला, अच्छे पुजारी, अति क्रोधी (पर जल्दी शांत होते थे) अत्यन्त हठी (चाहे ब्रह्मा उतर आएं, करते मन की) रसज्ञ, अच्छे वक्ता, विशेष अवसरों पर परिधान खास होती ऐसे थे हमारे महाराजाधिराज ।
खानदानी उपाधि
"श्री श्री 108 श्री सदाशिव चरणार्विंद, मकर रन्द, श्री महीभुज मण्डल मार्तण्ड, श्री सूर्य वंश परिहार वतंशः, श्री महाराजधिराज, श्री महाराज संग्रामशूर, श्री बरमेन्द्र महाराज,
श्रीमान महेन्द्र सिंह जूदेव ।।"
आप महाराजा यादवेन्द्र सिंह जी के छोटे पुत्र है। अग्रज महाराजा नरहरेन्द्र सिंह जी की मृत्यु के बाद अवयस्क होने पर तत्कालीन राज्य का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। आप का जन्म 8 फरवरी 1916 को हुआ और पढ़ाई इन्दौर और बैंगलोर मे संपन्न हुई।
वयस्क होने पर 9 फरवरी 1938 ई. को आपका राज्याभिषेक हुआ और 1939 ई. मे शेसन के अधिकार प्राप्त हुए। आप भारतीय नरेश मंडल के सदस्य भी थे।
आप ने हमेशा ही राज्य व प्रजा का तन मन धन से ख्याल रखा। आप नागौद राज्य के आखिरी उत्तराधिकारी हुए। 15 अगस्त 1947 ई. को भारत स्वतंत्र हुआ। और सभी रियासतों के साथ नागौद रियासत भी अंततः अंतरमुक्त हो गया और कुछ ही सालों बाद आप 23 अक्टूबर 1981 ई. को 65 वर्ष की उम्र मे पंचतत्व विलीन हो गये।।
साभार - अजय सिंह परिहार
ठिकाना - सेमरी, नागौद
Pratihara / Pratihar / Parihar Rulers of india
जय बरमेन्द्रनाथ।।
जय चामुण्डा देवी।।
सूर्यवंशी प्रतिहार वंश।।
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